माँ चंडिका मंदिर, पड़री मिर्जापुर: एक प्राचीन सिद्धपीठ की पूरी जानकारी
मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश का एक ऐसा जिला है जो गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है और अपनी धार्मिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है।
अगर आप मिर्जापुर यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो माँ चंडिका मंदिर पड़री को अपनी सूची में जरूर शामिल करें। यह मंदिर, जिसे चंडिका धाम या अंबिका धाम के नाम से भी जाना जाता है,
देवी दुर्गा के एक प्रमुख रूप माँ चंडिका को समर्पित है। यहां की पवित्रता, गंगा की निकटता और ऐतिहासिक महत्व इसे पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए एक आदर्श स्थल बनाते हैं।
इस लेख में हम माँ चंडिका मंदिर पड़री मिर्जापुर के इतिहास, महत्व, पहुंचने के मार्ग, त्योहारों और पर्यटन टिप्स पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
अगर आप मिर्जापुर पर्यटन या उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थल खोज रहे हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा।
चंडिका धाम का परिचय: देवी का दिव्य रूप और स्थान
माँ चंडिका मंदिर पड़री मिर्जापुर जिले के पहाड़ी ब्लॉक में स्थित है। यह मंदिर गंगा नदी के तट पर बसा हुआ है, जहां माँ चंडिका और अंबिका के रूप में देवी की दो प्रतिमाएं स्थापित हैं।
- मंदिर का मुख्य आकर्षण है देवी का श्रीमुख, जो गंगा की ओर मुंह करके स्थित है।
मंदिर की सीढ़ियां सीधे गंगा से सटी हुई हैं, जहां हमेशा पवित्र जल प्रवाहित होता रहता है। यह स्थान न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य से भी भरपूर है।
हर दिन यहां मिर्जापुर के विभिन्न इलाकों से श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए आते हैं। मंदिर में साल भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है, खासकर नवरात्रि और अन्य त्योहारों के दौरान।
अगर आप मिर्जापुर में घूमने की जगहें तलाश रहे हैं, तो चंडिका धाम एक शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
मंदिर का प्राचीन इतिहास: पुराणों से महाभारत तक की कथा
माँ चंडिका मंदिर पड़री मिर्जापुर का इतिहास पुराणों में वर्णित है, जो इसे एक सिद्धपीठ बनाता है। पुराणों के अनुसार, यहीं पर मेधा ऋषि ने राजा सुरथ और समाधि वैश्य को माँ दुर्गा के महात्म्य का वर्णन सुनाया था।
यह वर्णन आज दुर्गा सप्तशती के नाम से विश्वविख्यात है, जो देवी की शक्तियों का गुणगान करता है।
महाभारत काल में, भगवान श्रीकृष्ण के भाई बलराम ने इस क्षेत्र की यात्रा की थी। यहां परम तपस्वी वक्र ऋषि का आश्रम था, जिनके नाम पर ही इस गांव का नाम चंडिका पड़ा।
गंगा नदी यहां कुछ समय के लिए उत्तरमुखी होकर काशी (वाराणसी) की ओर बहती है, जो इस स्थान की विशेषता है। मेधा ऋषि ने राजा सुरथ को दुर्गा सप्तशती सुनाई थी, और उसी पवित्र स्थल पर बलराम ने माथा टेका। बाद में, यहीं माँ चंडिका और अंबिका की प्रतिमाएं स्थापित की गईं।
यह मंदिर न केवल हिंदू धर्मग्रंथों में उल्लिखित है बल्कि स्थानीय लोककथाओं में भी जीवंत है। हाल ही में, एमएस फिल्म मेकर्स द्वारा यहां माँ चंडिका धाम की महिमा पर एक भक्ति फिल्म और लालची ससुराल नामक भोजपुरी फिल्म की शूटिंग हुई, जो इस स्थान की लोकप्रियता को दर्शाता है।
इन्हें भी पढ़े :: प्राचीन काली मंदिर मुस्फ्फरगंज: मिर्ज़ापुर के नारघाट रोड पर स्थित माँ काली का धाम – पूरी जानकारी और यात्रा गाइड
- चंडिका धाम इतिहास जानने वाले पर्यटक यहां की इन कहानियों से आकर्षित होते हैं।
धार्मिक महत्व और आध्यात्मिक अनुभव
चंडिका धाम को माँ दुर्गा की शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यहां की दो प्रतिमाएं – माँ चंडिका और अंबिका – भक्तों को शक्ति, सुरक्षा और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
इन्हें भी पढ़े :: मवैया देवी धाम, सीखड़, मिर्जापुर: मां विंध्यवासिनी का चमत्कारी तीर्थ स्थल
मंदिर गंगा तट पर होने के कारण, स्नान और पूजा का संयोजन इसे और अधिक पवित्र बनाता है। श्रद्धालु यहां ध्यान, जप और आरती में भाग लेते हैं।
अगर आप मिर्जापुर के मंदिर या गंगा तट धार्मिक स्थल की खोज में हैं, तो यह जगह आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है। पर्यटक यहां फोटोग्राफी, नदी दर्शन और स्थानीय संस्कृति का आनंद ले सकते हैं।
इन्हें भी पढ़े :: प्राचीन दुर्गा खोह, चुनार, मिर्जापुर: एक आध्यात्मिक और ऐतिहासिक यात्रा
मंदिर पहुंचने का आसान मार्ग: कैसे जाएं?
माँ चंडिका मंदिर पड़री पहुंचना काफी सुविधाजनक है। मुख्य मार्ग निम्न हैं:
- राष्ट्रीय राजमार्ग 7 (NH-7): पड़री बाजार से होकर सीधे मंदिर तक। दक्षिण दिशा से आने वाले पर्यटक आसानी से पहुंच सकते हैं।
- गंगा नदी पार करके: उत्तर दिशा से आने वाले लोग नदी पार कर मंदिर पहुंचते हैं।
- अन्य वैकल्पिक मार्ग: कठिनई, पकरी का पूरा और पैडापुर से भी पहुंचा जा सकता है।
मिर्जापुर शहर से यह मंदिर लगभग 20-25 किमी दूर है। आप बस, ऑटो या निजी वाहन से जा सकते हैं। अगर आप ट्रेन से आ रहे हैं, तो मिर्जापुर रेलवे स्टेशन से टैक्सी या लोकल ट्रांसपोर्ट उपलब्ध है।
इन्हें भी पढ़े :: भंडारी देवी मंदिर अहरौरा, मिर्ज़ापुर: इतिहास, धार्मिक मान्यता और पर्यटन की एक अनोखी यात्रा
पर्यटकों के लिए सलाह: सुबह जल्दी पहुंचें ताकि भीड़ से बच सकें। मिर्जापुर कैसे पहुंचें के लिए, वाराणसी एयरपोर्ट (लगभग 60 किमी) निकटतम है।
त्योहार और मेले: जीवंत उत्सव का अनुभव
चंडिका धाम में साल भर त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन कार्तिक पूर्णिमा का नहावन पर्व यहां का मुख्य आकर्षण है। भोर 3 बजे से ही गंगा तट पर महिलाएं, बालिकाएं और अन्य स्नानार्थी स्नान-दान के लिए उमड़ पड़ते हैं।
इस दौरान मेला लगता है, जहां ईंख (गन्ना), गुड़हिया, जलेबी, आलू दम और मूंगफली की दुकानें सजी रहती हैं। भीड़ भारी होती है, लेकिन उत्साह देखने लायक होता है।
इन्हें भी पढ़े :: प्राचीन शीतला माता मंदिर, अदलपुरा, चुनार: मिर्जापुर का प्रमुख शक्तिपीठ और आस्था का केंद्र
नवरात्रि में यहां विशेष पूजा और आरती होती है। अगर आप मिर्जापुर त्योहार या गंगा स्नान उत्सव में रुचि रखते हैं, तो कार्तिक पूर्णिमा का समय बेस्ट है।
आसपास की जगहें: मिर्जापुर यात्रा को पूरा करें
चंडिका धाम के निकट कई अन्य पर्यटन स्थल हैं:
- विंध्याचल मंदिर: देवी विंध्यवासिनी का प्रसिद्ध मंदिर, लगभग 30 किमी दूर।
- चुनार किला: ऐतिहासिक किला, इतिहास प्रेमियों के लिए।
- गंगा घाट: नदी क्रूज या बोटिंग का मजा लें।
- सिरसी डैम: प्राकृतिक सौंदर्य के लिए।
ये जगहें मिर्जापुर टूर पैकेज में शामिल कर अपनी यात्रा को यादगार बनाएं
अगर आप मिर्जापुर यात्रा ब्लॉग पढ़ रहे हैं, तो चंडिका धाम आपकी सूची में टॉप पर होना चाहिए। यह जगह न केवल धार्मिक है बल्कि पर्यटन के लिहाज से भी परफेक्ट है। अधिक जानकारी के लिए कमेंट करें या mirzapuryatra.in पर अन्य लेख पढ़ें। सुरक्षित यात्रा! ---
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य स्रोतों और उपलब्ध डेटा पर आधारित है। मंदिर के समय, नियम या अन्य विवरण में बदलाव हो सकता है। कृपया यात्रा से पहले आधिकारिक स्रोतों से पुष्टि करें। mirzapuryatra.in किसी भी गलती के लिए जिम्मेदार नहीं है।