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प्राचीन हनुमान मंदिर, मड़िहान मिर्जापुर: गढ़वा में छिपा आस्था और चमत्कार का धाम

प्राचीन हनुमान मंदिर, मड़िहान मिर्जापुर: गढ़वा में छिपा आस्था और चमत्कार का धाम

मिर्जापुर की पवित्र भूमि धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों का खजाना है, और प्राचीन हनुमान मंदिर, मड़िहान तहसील के गढ़वा ग्रामसभा में बसा एक ऐसा ही रत्न है।

यह मंदिर भगवान हनुमान की अटूट आस्था का प्रतीक है, जिसकी कहानी स्वप्न दर्शन और चमत्कारों से भरी है। क्या आप जानते हैं कि इस मंदिर की प्राचीन हनुमान प्रतिमा एक साधू के स्वप्न में हनुमानजी के आदेश से प्रकट हुई थी?

सिरसी बांध के किनारे, घने जंगल में बसा यह धाम हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर विशाल भंडारे का आयोजन होता है, जहां हजारों भक्तों का मेला लगता है।

अगर आप मिर्जापुर पर्यटन की योजना बना रहे हैं या आध्यात्मिक स्थलों के शौकीन हैं, तो यह लेख आपको इस चमत्कारी हनुमान मंदिर की सैर कराएगा। आइए, इसके इतिहास, धार्मिक महत्व, स्थापत्य और यात्रा टिप्स को विस्तार से जानते हैं।

Prachin Hanuman Mandir, Madihan Mirzapur

मंदिर की लोकेशन: प्रकृति और आस्था का संगम

प्राचीन हनुमान मंदिर मिर्जापुर जिले के मड़िहान तहसील के पश्चिम में गढ़वा ग्रामसभा के हरदी कला गांव में स्थित है। यह मंदिर सिरसी जलाशय (बांध) के किनारे, घने जंगल और पहाड़ी इलाके में बसा है, जो इसे एक शांत और रहस्यमयी स्थान बनाता है।

Prachin Hanuman Mandir, Madihan Mirzapur

मिर्जापुर शहर से यह लगभग 45-50 किलोमीटर दूर है, जबकि वाराणसी से दूरी करीब 60-70 किलोमीटर है। मंदिर आबादी से 3.5 किलोमीटर दूर जंगली क्षेत्र में है, जो यात्रा को रोमांचक लेकिन थोड़ा चुनौतीपूर्ण बनाता है।

Prachin Hanuman Mandir Mirzapur Madihan 1

सिरसी बांध की प्राकृतिक सुंदरता मंदिर के आकर्षण को दोगुना करती है। बरसात में बांध का पानी और हरियाली मंदिर को और दिव्य बनाते हैं, जबकि गर्मियों में पानी की कमी एक समस्या हो सकती है।

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यह स्थान मिर्जापुर पर्यटन के ऑफबीट डेस्टिनेशनों में से एक है, जो प्रकृति प्रेमियों और भक्तों दोनों को लुभाता है।

पहुंचने के साधन:

  • ट्रेन से: मिर्जापुर रेलवे स्टेशन से टैक्सी या लोकल बस लेकर 45-50 मिनट में मंदिर पहुंचा जा सकता है।
  • बस से: मिर्जापुर या वाराणसी से मड़िहान तक बसें उपलब्ध हैं। मड़िहान से गढ़वा के लिए ऑटो या निजी वाहन लेना होगा।
  • कार से: जीपीएस पर "प्राचीन हनुमान मंदिर गढ़वा मड़िहान मिर्जापुर" सर्च करें। रास्ता पहाड़ी और कच्चा है, इसलिए सावधानी बरतें।
  • निकटतम हवाई अड्डा: लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा, वाराणसी (लगभग 70 किमी)।

मंदिर का इतिहास: स्वप्न दर्शन और चमत्कार की कहानी

प्राचीन हनुमान मंदिर की कहानी आस्था और चमत्कार का अनूठा मेल है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, करीब 30-70 वर्ष पहले एक साधू को हनुमानजी ने स्वप्न में दर्शन दिए।

Prachin Hanuman Mandir Mirzapur Madihan

हनुमानजी ने साधू को बताया कि गढ़वा की भूमि में उनकी प्राचीन प्रतिमा दबी है और इसे निकालकर मंदिर में स्थापित करना होगा।

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साधू ने स्वप्न के आदेश का पालन किया और कई दिनों की यात्रा के बाद गढ़वा पहुंचा। बताए गए स्थान पर थोड़ी सी खुदाई में ही हनुमानजी की प्राचीन प्रतिमा प्रकट हो गई।

साधू ने इस प्रतिमा को एक चबूतरे पर स्थापित किया और मंदिर निर्माण शुरू किया। शुरुआत में यह एक साधारण चबूतरा था, लेकिन समय के साथ स्थानीय लोगों और आश्रम के प्रयासों से मंदिर का विकास हुआ।

आज यह मंदिर एक सुसज्जित धाम है, हालांकि यह अभी भी घने जंगल में बसा है, जो इसे रहस्यमयी और शांत बनाता है। प्रतिमा की प्राचीनता को लेकर कोई ठोस पुरातात्विक प्रमाण नहीं है, लेकिन स्थानीय लोग इसे सैकड़ों वर्ष पुराना मानते हैं।

Ancient Hanuman Temple, Madihan Mirzapur

यह कहानी भक्तों में गहरा विश्वास जगाती है कि हनुमानजी स्वयं इस स्थान पर विराजमान हैं। मंदिर का जंगली लोकेशन और स्वप्न दर्शन की कथा इसे मिर्जापुर के अन्य मंदिरों, जैसे विंध्यवासिनी मंदिर या सारनाथ महादेव मंदिर, से अलग बनाती है।

धार्मिक महत्व: संकटमोचन हनुमान की कृपा

प्राचीन हनुमान मंदिर भगवान हनुमान के भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थस्थल है। हनुमानजी को संकटमोचन के रूप में पूजा जाता है, और स्थानीय मान्यता है कि यहां दर्शन और प्रार्थना से सभी कष्ट दूर होते हैं।

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मंदिर में स्थापित हनुमानजी की प्राचीन प्रतिमा भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यह मूर्ति एक चबूतरे पर स्थापित है, और भक्त इसे विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को पूजते हैं।

Ancient Hanuman Temple,  Mirzapur Madihan

हर साल कार्तिक पूर्णिमा (नवंबर के आसपास) पर मंदिर में विशाल भंडारे का आयोजन होता है। इस दौरान हजारों भक्त प्रसाद ग्रहण करने और हनुमानजी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

भंडारे में खिचड़ी, हलवा और अन्य पारंपरिक प्रसाद वितरित किए जाते हैं। इसके अलावा, स्वतंत्रता दिवस जैसे विशेष अवसरों पर भी आश्रम द्वारा भंडारा और पूजा का आयोजन होता है।

भक्तों का मानना है कि यहां की हवा में हनुमानजी की ऊर्जा महसूस होती है, जो मन को शांति और आत्मविश्वास देती है।

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मंदिर में नियमित रूप से हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ होता है, जो भक्तों को आध्यात्मिक रूप से जोड़ता है।

सावन माह में भी मंदिर में विशेष पूजा होती है, क्योंकि हनुमानजी भगवान शिव के परम भक्त माने जाते हैं। यह स्थान उन लोगों के लिए खास है जो संकटों से मुक्ति और मनोकामना पूर्ति की कामना करते हैं।

स्थापत्य और परिवेश: प्रकृति में बसा एक साधारण मंदिर

प्राचीन हनुमान मंदिर का स्थापत्य सादगी भरा है। मंदिर का मुख्य आकर्षण हनुमानजी की प्राचीन प्रतिमा है, जो एक ऊंचे चबूतरे पर स्थापित है। मंदिर का ढांचा पारंपरिक है, जिसमें पत्थर और ईंटों का उपयोग हुआ है।

आसपास का घना जंगल और सिरसी बांध का जलाशय मंदिर को प्राकृतिक सुंदरता प्रदान करते हैं। मंदिर परिसर में छोटे-छोटे पूजा स्थल और आश्रम की व्यवस्था है, जहां साधु और भक्त ठहरते हैं।

मंदिर के आसपास का जंगली इलाका इसे रहस्यमयी बनाता है। बरसात में हरियाली और बांध का पानी पर्यटकों को आकर्षित करता है, लेकिन गर्मियों में पानी की कमी एक समस्या हो सकती है।

मंदिर का परिवेश शांत और एकांतप्रिय लोगों के लिए आदर्श है। यहां कोई भव्य नक्काशी या विशाल गुम्बद नहीं है, लेकिन हनुमानजी की सादगी भरी मूर्ति और प्रकृति का समन्वय इसे खास बनाता है।

विकास के प्रयास: पर्यटन स्थल के रूप में उभरता धाम

हाल के वर्षों में, प्राचीन हनुमान मंदिर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के प्रयास हो रहे हैं। स्थानीय प्रशासन और आश्रम ने मंदिर परिसर की साफ-सफाई और बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान दिया है।

सड़क की खराब हालत एक बड़ी चुनौती है, लेकिन मड़िहान के स्थानीय नेताओं ने सड़क सुधारने और मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए योजनाएं बनाई हैं। मंदिर के पास पानी की समस्या को हल करने के लिए बोरवेल और अन्य व्यवस्थाएं शुरू की गई हैं।

आश्रम द्वारा मंदिर का रखरखाव किया जाता है, और भक्तों के दान से विकास कार्य चल रहे हैं। सिरसी बांध के कारण यह स्थान पिकनिक स्पॉट के रूप में भी लोकप्रिय हो सकता है।

मिर्जापुर पर्यटन में विंध्याचल, चुनार किला और अन्य स्थलों के साथ यह मंदिर एक नया आयाम जोड़ रहा है। भविष्य में बेहतर सड़क और सुविधाओं के साथ यह धाम अधिक भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करेगा।

यात्रा टिप्स: मिर्जापुर यात्रा को बनाएं सुरक्षित और यादगार

  1. सही समय चुनें: कार्तिक पूर्णिमा (नवंबर) में भंडारे का आनंद लें। बरसात से बचें, क्योंकि पहाड़ी रास्ता फिसलन भरा हो सकता है।
  2. कपड़े और सामान: आरामदायक जूते, पानी की बोतल, टॉर्च और कीटनाशक साथ रखें। जंगल में मच्छर हो सकते हैं।
  3. पूजा सामग्री: हनुमान चालीसा, लड्डू, तेल और सिन्दूर साथ ले जाएं, क्योंकि स्थानीय दुकानें सीमित हैं।
  4. आसपास के दर्शनीय स्थल: सिरसी बांध, विंध्यवासिनी मंदिर, चुनार किला और कांतित शारदा मंदिर देख सकते हैं।
  5. रहने की व्यवस्था: मिर्जापुर या मड़िहान में होटल उपलब्ध हैं। मंदिर में रात रुकने की सुविधा सीमित है, इसलिए दिन की यात्रा बेहतर।
  6. सावधानी: जंगली इलाके में वन्यजीवों से सावधान रहें। सड़क कच्ची है, इसलिए अनुभवी ड्राइवर के साथ यात्रा करें।

निष्कर्ष: एक आध्यात्मिक और रोमांचक यात्रा

प्राचीन हनुमान मंदिर, मड़िहान मिर्जापुर, केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि स्वप्न दर्शन और चमत्कारों का जीवंत प्रमाण है। सिरसी बांध के किनारे, जंगल में बसा यह मंदिर आस्था और प्रकृति का अनूठा संगम है।

कार्तिक पूर्णिमा का भंडारा और हनुमानजी की कृपा इसे भक्तों के लिए खास बनाते हैं। अगर आप मिर्जापुर की यात्रा पर हैं, तो इस मंदिर के दर्शन जरूर करें।

यह न केवल आपकी आस्था को मजबूत करेगा, बल्कि आपको भारत की समृद्ध धार्मिक और प्राकृतिक विरासत से जोड़ेगा।

प्राचीन हनुमान मंदिर मड़िहान मिर्जापुर FAQ

प्राचीन हनुमान मंदिर मड़िहान मिर्जापुर: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्राचीन हनुमान मंदिर मड़िहान मिर्जापुर कहां स्थित है?
यह मंदिर मिर्जापुर के मड़िहान तहसील में गढ़वा ग्रामसभा के हरदी कला गांव में, सिरसी बांध के किनारे जंगल में स्थित है।
हनुमान मंदिर की प्रतिमा कब और कैसे प्रकट हुई?
लगभग 30-70 वर्ष पहले एक साधू को स्वप्न में हनुमानजी ने दर्शन दिए और गढ़वा की भूमि में प्रतिमा होने की बात बताई। खुदाई से यह प्राचीन प्रतिमा प्रकट हुई।
मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा पर क्या होता है?
कार्तिक पूर्णिमा पर मंदिर में विशाल भंडारा होता है, जहां हजारों भक्त प्रसाद ग्रहण करने और दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
मंदिर तक कैसे पहुंचा जा सकता है?
मिर्जापुर या वाराणसी से बस, टैक्सी या कार से मड़िहान, फिर गढ़वा पहुंचें। निकटतम हवाई अड्डा वाराणसी में है (70 किमी)।
मंदिर का धार्मिक महत्व क्या है?
हनुमानजी को संकटमोचन के रूप में पूजा जाता है। भक्तों का मानना है कि यहां दर्शन से सभी कष्ट दूर होते हैं।
मंदिर का स्थापत्य कैसा है?
मंदिर सादगी भरा है, जिसमें हनुमानजी की प्राचीन प्रतिमा चबूतरे पर स्थापित है। आसपास जंगल और सिरसी बांध है।
मंदिर में कौन सी पूजा विशेष होती है?
मंगलवार और शनिवार को विशेष पूजा, हनुमान चालीसा और सुंदरकांड पाठ होता है। सावन में भी पूजा होती है।
मंदिर के आसपास क्या सुविधाएं हैं?
मंदिर में सीमित सुविधाएं हैं। मिर्जापुर या मड़िहान में होटल उपलब्ध हैं। सिरसी बांध पास में है।
मंदिर में भंडारा कब आयोजित होता है?
कार्तिक पूर्णिमा और स्वतंत्रता दिवस जैसे अवसरों पर भंडारा होता है, जिसमें खिचड़ी और हलवा बांटा जाता है।
मंदिर की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय क्या है?
कार्तिक पूर्णिमा (नवंबर) भंडारे के लिए आदर्श है। बरसात से बचें, क्योंकि रास्ता फिसलन भरा हो सकता है।
क्या मंदिर में कोई चमत्कारिक मान्यता है?
भक्त मानते हैं कि हनुमानजी की कृपा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और संकट दूर होते हैं।
मंदिर के विकास के लिए क्या प्रयास हो रहे हैं?
सड़क सुधार, पानी की व्यवस्था और सौंदर्यीकरण के लिए स्थानीय प्रशासन और आश्रम प्रयासरत हैं।
मंदिर तक का रास्ता कैसा है?
रास्ता पहाड़ी और कच्चा है, जो 3.5 किमी जंगली इलाके से होकर गुजरता है। सावधानी बरतें।
क्या मंदिर में रहने की सुविधा है?
मंदिर में रहने की सुविधा सीमित है। मिर्जापुर या मड़िहान में होटल बुक करें।
मंदिर के पास क्या देख सकते हैं?
सिरसी बांध, विंध्यवासिनी मंदिर, चुनार किला और कांतित शारदा मंदिर पास में हैं।

Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी स्थानीय मान्यताओं और उपलब्ध स्रोतों पर आधारित है। मंदिर के इतिहास और चमत्कारों की प्रामाणिकता की पुष्टि के लिए स्वतंत्र शोध करें। यह ब्लॉग केवल सूचना और पर्यटन प्रचार के लिए है। किसी भी धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने का इरादा नहीं है।

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