काशी भोला तालाब, मिर्ज़ापुर: लोहंदी की प्राकृतिक और आध्यात्मिक सुंदरता
मिर्ज़ापुर नगर के दक्षिण में स्थित लोमस ऋषि की तपोभूमि, लोहंदी महावीर मंदिर से कुछ दूर पर एक प्राचीन तालाब अवस्थित है, जिसे काशी भोला तालाब या लोहदी तालाब के नाम से जाना जाता है।
यह तालाब न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि इसकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्ता इसे मिर्ज़ापुर के यात्रियों के लिए एक अनोखा आकर्षण बनाती है।
ग्राम पंचायत लोहंदी कला, विकास खंड सिटी, मिर्ज़ापुर में स्थित यह तालाब सड़क मार्ग से स्पष्ट दिखाई देता है और लोहंदी महावीर मंदिर जाने वाले भक्तों के लिए एक प्रमुख पड़ाव बना हुआ है।
लोहंदी तालाब का प्राकृतिक सौंदर्य और मछलियों का आकर्षण
काशी भोला तालाब अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें बड़ी संख्या में मछलियाँ पाई जाती हैं। यहाँ आने वाले लोग इन मछलियों को चारा खिलाने का आनंद लेते हैं, और सुबह-शाम के समय तालाब के किनारे मछली के चारे की बिक्री भी होती है।
स्थानीय लोग और पर्यटक इस गतिविधि को बड़े चाव से करते हैं, जो तालाब की जीवंतता को बढ़ाता है। हालांकि, तालाब में नहाना, कपड़े धोना, साबुन का उपयोग, और मछली पकड़ने पर सख्त पाबंदी है, ताकि इसकी शुद्धता और पारिस्थितिकी संरक्षित रहे।
आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व
इस तालाब का संबंध लोहंदी महावीर मंदिर से गहराई से जुड़ा है, जिसके बगल में एक हनुमान जी का मंदिर स्थित है।
यह मंदिर समय-समय पर यज्ञ, हवन, और श्रृंगार जैसे धार्मिक आयोजनों का केंद्र बनता है, जो भक्तों के लिए आकर्षण का कारण है।
मानस कथा के सुप्रसिद्ध विद्वान पंडित रामगुलाम द्विवेदी भी इस तालाब और मंदिर परिसर में आते थे, जिन्होंने अपनी कठिन साधना से लोहंदी महावीर से आशीर्वाद प्राप्त किया था। उनकी पवित्र उपस्थिति ने इस स्थान को और भी पवित्र बना दिया है।
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सुन्दरीकरण और शिलापट्ट
काशी भोला तालाब का सुंदर और आधुनिक स्वरूप श्रीमती दिव्या मित्तल (जिलाधिकारी, I.A.S.) के प्रयासों से संभव हुआ है।
सुन्दरीकरण के तहत तालाब के चारों ओर पत्थर की सीढ़ियाँ बनाई गई हैं, जो इसे चारों तरफ से बांधती हैं और एक सुंदर दृश्य प्रस्तुत करती हैं।
- तालाब के बीच में एक खंभा खड़ा किया गया है, जो इसकी सुंदरता में चार चांद लगाता है।
सुन्दरीकरण के दौरान एक शिलापट्ट भी लगाया गया है, जिसमें लिखा है: "I ❤️ LOHANDI KALA, काशी भोला तालाब, ग्राम पंचायत- लोहंदी कला, विकास खंड- सिटी, मिर्ज़ापुर"।
इस शिलापट्ट पर ग्राम प्रधान श्री संतोष यादव, ग्राम सचिव श्री विजय प्रताप, सहायक विकास अधिकारी श्री के. के. सिंह, खंड विकास अधिकारी श्री भरत सिंह, मुख्य विकास अधिकारी श्रीमती वी. रमा लक्ष्मी (I.A.S.), और जिलाधिकारी श्रीमती दिव्या मित्तल (I.A.S.) के नाम भी अंकित हैं।
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यह शिलापट्ट न केवल सुन्दरीकरण का प्रतीक है, बल्कि यहाँ आने वाले लोग इसके सामने सेल्फी लेकर अपनी स्मृतियों को संजोते हैं।
विश्राम और मनोरंजन का स्थान
तालाब के पास पत्थर का चबूतरा बनाया गया है, जो यहाँ आने वाले लोगों के लिए विश्राम और मनोरंजन का साधन है।
गर्मियों में लोग इस चबूतरे पर बैठकर ठंडी हवाओं का आनंद लेते हैं और मछलियों को चारा खिलाते हैं। यह स्थान न केवल भक्तों के लिए, बल्कि परिवारों और पर्यटकों के लिए भी एक शांतिपूर्ण पिकनिक स्पॉट के रूप में लोकप्रिय हो रहा है।
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हनुमान मंदिर और प्राचीन कुआँ
तालाब से सटा हनुमान जी का मंदिर दूर से देखने में बेहद आकर्षक लगता है, जो इस स्थान की आध्यात्मिकता को बढ़ाता है।
मंदिर के सामने एक प्राचीन कुआँ भी है, जिसका पानी औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि इस कुएं का पानी पेट के रोगों को दूर करने में सहायक है, जिसके कारण यह और भी विशेष हो जाता है।
श्रावण मास का मेला और तालाब का आनंद
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष के प्रत्येक शनिवार को लोहंदी महावीर मंदिर में भव्य मेला लगता है, और इस दौरान भक्त काशी भोला तालाब की सुंदरता का भी लुत्फ उठाते हैं।
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मेला के समय तालाब का प्राकृतिक सौंदर्य और मंदिर की रौनक इसे और भी जीवंत बनाती है। भक्त इस अवसर पर तालाब के किनारे मछलियों को चारा खिलाते हैं और मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं।
काशी भोला तालाब FAQs
निष्कर्ष
काशी भोला तालाब मिर्ज़ापुर की एक अनमोल धरोहर है, जो प्राकृतिक सुंदरता, आध्यात्मिक शक्ति, और सामुदायिक प्रयासों का संगम है।
श्रीमती दिव्या मित्तल के नेतृत्व में हुए सुन्दरीकरण ने इसे एक आधुनिक और आकर्षक रूप प्रदान किया है, जबकि इसके प्राचीन कुआँ और हनुमान मंदिर इसे ऐतिहासिक महत्व देते हैं।
यदि आप मिर्ज़ापुर की यात्रा पर हैं, तो लोहंदी महावीर मंदिर के साथ-साथ काशी भोला तालाब का दर्शन अवश्य करें। यहाँ की शांति, सुंदरता, और आध्यात्मिकता आपकी यात्रा को अविस्मरणीय बना देगी।