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चुनार का आश्चर्य कूप: श्री बल्लभाचार्य चरण और श्री गुसाई विट्ठलनाथजी की बैठक – एक पवित्र तीर्थस्थली

चुनार का आश्चर्य कूप: श्री बल्लभाचार्य चरण और श्री गुसाई विट्ठलनाथजी की बैठक – एक पवित्र तीर्थस्थली

मिर्ज़ापुर यात्रा ब्लॉग में आपका स्वागत है! यदि आप धार्मिक स्थलों की खोज में हैं, तो मिर्ज़ापुर जिले का चुनार किला क्षेत्र आपके लिए एक छिपा हुआ रत्न है।

आज हम बात करेंगे चुनार के आश्चर्य कूप स्थित श्री बल्लभाचार्य चरण और श्री गुसाई विट्ठलनाथजी की बैठक के बारे में।

यह स्थान वैष्णव सम्प्रदाय के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख तीर्थ है, जिसे चरणाट धाम या गुप्त वृंदावन के नाम से भी जाना जाता है।

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इस लेख में हम इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, किवदंतियों, धार्मिक महत्व और यात्रा टिप्स पर विस्तार से चर्चा करेंगे। यदि आप मिर्ज़ापुर में घूमने की जगहें खोज रहे हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए परफेक्ट गाइड है!

वैष्णव सम्प्रदायों का संक्षिप्त परिचय

भारतीय भक्ति परंपरा में वैष्णव सम्प्रदायों का विशेष स्थान है। मुख्य रूप से चार वैष्णव सम्प्रदाय माने जाते हैं:

  • रामानुज सम्प्रदाय: संस्थापक श्री रामानुजाचार्य।
  • माध्व सम्प्रदाय: संस्थापक श्री मध्वाचार्य।
  • निम्बार्क सम्प्रदाय: संस्थापक श्री निम्बार्काचार्य।
  • वल्लभ सम्प्रदाय: संस्थापक श्री वल्लभाचार्य।

इनमें से वल्लभ सम्प्रदाय को पुष्टिमार्ग के रूप में जाना जाता है, जिसे श्री वल्लभाचार्य ने पूरे देश में प्रसिद्धि दिलाई। उनके लाखों भक्त बने और यह सम्प्रदाय भक्ति की अनोखी धारा बन गया।

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महाप्रभु वल्लभाचार्य के लीला विस्तार (देहांत) के बाद सम्प्रदाय की जिम्मेदारी उनके ज्येष्ठ पुत्र गोस्वामी गोपीनाथजी पर आई।

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गोपीनाथजी ने अड़ैल (प्रयाग) में सोम यज्ञ और विष्णु यज्ञ आयोजित किए। उनकी एकमात्र ज्ञात रचना "साधन दीपिका" है। विक्रम संवत 1620 में उनके तिरोधान के बाद दायित्व उनके छोटे भाई गुसाई विट्ठलनाथजी पर आया।

श्री गुसाई विट्ठलनाथजी का जीवन और चुनार से संबंध

श्री गुसाई विट्ठलनाथजी का जन्म चुनार के एक मनोरम स्थान चरणादिगढ़ (चरणाट धाम) में हुआ था। मान्यता है कि उनका प्राकट्य विक्रम संवत 1572 में पौष कृष्ण नवमी को अपराह्न में हुआ।

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जन्म के छठे दिन, उन्होंने मात्र एक कटाक्ष से लाखों जीवों को अंगीकार किया – यह उनकी दिव्य शक्ति का प्रतीक है।

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एक महीने बाद गंगा पूजन के दौरान, चुनार के निकट बहती भागीरथी गंगा स्वयं बढ़कर उनके चरण स्पर्श करने लगी। माता अक्काजी चकित रह गईं।

तब गंगा ने कहा, "आप परम भाग्यशाली हैं, क्योंकि आपके पति और पुत्र दोनों पूर्ण पुरुषोत्तम हैं।" इसी अवसर पर उनका नामकरण विट्ठलनाथ हुआ।

विट्ठलनाथजी का जीवन चमत्कारों से भरा था। उन्होंने दो विवाह किए:

  • पहला विवाह पद्मावतीजी से, जिससे छह पुत्र और चार पुत्रियां हुईं।
  • दूसरा विवाह से एक पुत्र घनश्यामजी प्राप्त हुए।

उन्होंने दो सोम यज्ञ किए: पहला विक्रम संवत 1592 में अड़ैल में, और दूसरा 1610 में चरणाट धाम, चुनार में। वे संस्कृत, ब्रजभाषा और हिंदी के विद्वान थे।

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मुगल सम्राट अकबर ने उन्हें कई बार सम्मानित किया और धार्मिक सभाओं में आमंत्रित किया, जहां प्रमुख आचार्य और विद्वान उपस्थित रहते थे।

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विट्ठलनाथजी परम त्यागी थे और अंधविश्वासों से दूर रहते थे। एक बार अकबर ने उन्हें एक मूल्यवान मणि दी। विट्ठलनाथजी ने तीन बार पूछा कि अब इस पर उनका स्वतंत्र अधिकार है? अकबर के हां कहने पर उन्होंने मणि को यमुना में फेंक दिया।

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नाराज अकबर को उन्होंने यमुना से अंजलि भरकर कई ऐसी मणियां निकालकर दिखाईं और कहा, "इनमें से अपनी मणि ले लो।" इस पर अकबर लज्जित हुआ और उन्हें साक्षात ईश्वर मानने लगा।

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चुनार का आश्चर्य कूप: किवदंती और इतिहास

आश्चर्य कूप चुनार में स्थित एक चमत्कारी कुआं है, जो श्री बल्लभाचार्य चरण और श्री गुसाई विट्ठलनाथजी की बैठक से जुड़ा है।

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लोक कथाओं के अनुसार, जगद्गुरु महाप्रभु श्री बल्लभाचार्य अपनी तीसरी पृथ्वी परिक्रमा के दौरान विक्रम संवत 1572 में यहां पहुंचे। भागवत सप्ताह परायण के बाद उन्होंने इस स्थान को अपना निज धाम बनाया। देशभर की 84 बैठकों में यह अंतिम बैठक है।

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किवदंती है कि बल्लभाचार्य जगन्नाथपुरी यात्रा पर थे। यहां पहुंचने पर उन्हें पुत्र (विट्ठलनाथ) की प्राप्ति हुई, लेकिन वे बच्चे को छोड़कर आगे बढ़ गए।

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वापसी पर इसी कुएं के पास एक व्यक्ति बच्चे के साथ बैठा मिला, जो बच्चे को सौंपकर अदृश्य हो गया। तभी से इसे आश्चर्य कूप कहा जाने लगा। वैष्णवजन इसे गुप्त वृंदावन मानते हैं, क्योंकि यहां की आध्यात्मिक ऊर्जा वृंदावन जैसी है।

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यह स्थान श्री विट्ठलनाथजी की जन्मस्थली होने के कारण और भी महत्वपूर्ण है। तीन आंगनों से सुशोभित विशाल भवन अत्यंत भव्य है। दो विशाल जलाशय (तालाब) इसकी सुंदरता बढ़ाते हैं। वर्षभर देश-विदेश से हजारों तीर्थयात्री यहां पूजन-अर्चन करते हैं।

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वर्तमान स्थिति और आयोजन

वर्तमान में इस स्थान की देखरेख षष्ठपीठाधीश्वर श्री श्याम मनोहरजी महाराज के नेतृत्व में श्री मुकुंद सेवा संस्थान, गोपाल मंदिर, वाराणसी द्वारा की जाती है।

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दिसंबर माह में प्रति वर्ष अखिल भारतीय प्राकट्य महोत्सव आयोजित होता है। श्री श्याम मनोहरजी महाराज के मार्गदर्शन में गोसाईजी की जयंती 4 जनवरी को तीन दिवसीय जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है।

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इसमें बनारस, अहमदाबाद, उज्जैन आदि शहरों से हजारों पुष्टिमार्ग भक्त शामिल होते हैं। इस दौरान चुनार लघु काशी जैसा दिखता है।

आगामी वर्ष में श्री गुसाईजी का पंचशताब्दी वर्ष मनाया जाएगा। इसके लिए संस्थान द्वारा मंदिर का जीर्णोद्धार हो रहा है। 4174 स्क्वायर फीट क्षेत्र में बनने वाला नया मंदिर पहले से अधिक भव्य होगा।

मिर्ज़ापुर यात्रा में क्यों जाएं आश्चर्य कूप?

यदि आप मिर्ज़ापुर में धार्मिक स्थल या चुनार किले के पास घूमने की जगहें ढूंढ रहे हैं, तो यह स्थान आदर्श है। यहां की शांत वातावरण, ऐतिहासिक महत्व और चमत्कारी किवदंतियां आपको आध्यात्मिक शांति प्रदान करेंगी। वैष्णव सम्प्रदाय के अनुयायी इसे चरणाट धाम के रूप में पूजते हैं।

यात्रा टिप्स:

  • कैसे पहुंचें? चुनार मिर्ज़ापुर से मात्र 40 किमी दूर है। ट्रेन से चुनार जंक्शन उतरें या बस/टैक्सी से आएं।
  • सर्वोत्तम समय: दिसंबर-जनवरी में महोत्सव के दौरान।
  • आसपास के आकर्षण: चुनार किला, गंगा घाट, और अन्य वैष्णव मंदिर।
  • ध्यान दें: फोटोग्राफी की अनुमति लें और स्थानीय रीति-रिवाजों का सम्मान करें।

श्री बल्लभाचार्य चरण और श्री गुसाई विट्ठलनाथजी की बैठक की झलकियाँ 

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निष्कर्ष

चुनार का आश्चर्य कूप और श्री गुसाई विट्ठलनाथजी की बैठक न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि वैष्णव भक्ति की जीवंत परंपरा का प्रतीक है।

श्री बल्लभाचार्य और उनके पुत्र की लीला यहां जीवंत हो उठती है। यदि आप वल्लभ सम्प्रदाय या पुष्टिमार्ग के बारे में जानना चाहते हैं, तो यह स्थान अवश्य घूमें। मिर्ज़ापुर यात्रा में यह आपकी यादगार यात्रा बनेगी! ---

चुनार का आश्चर्य कूप - FAQ

चुनार का आश्चर्य कूप: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. चुनार का आश्चर्य कूप क्या है?
चुनार का आश्चर्य कूप मिर्ज़ापुर, उत्तर प्रदेश में स्थित एक पवित्र कुआं है, जो श्री बल्लभाचार्य और उनके पुत्र श्री गुसाई विट्ठलनाथजी की जन्मस्थली से जुड़ा है। इसे वैष्णव सम्प्रदाय में चरणाट धाम या गुप्त वृंदावन के नाम से जाना जाता है।
2. आश्चर्य कूप का धार्मिक महत्व क्या है?
यह स्थान वल्लभ सम्प्रदाय के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह श्री बल्लभाचार्य की अंतिम बैठक और श्री विट्ठलनाथजी की जन्मस्थली है। इसे गुप्त वृंदावन भी माना जाता है।
3. श्री बल्लभाचार्य कौन थे?
श्री बल्लभाचार्य वल्लभ सम्प्रदाय के संस्थापक थे, जिन्होंने पुष्टिमार्ग भक्ति को देशभर में प्रसिद्ध किया। वे विशिष्टाद्वैत दर्शन के प्रमुख प्रवर्तक थे।
4. श्री गुसाई विट्ठलनाथजी का जन्म कब और कहां हुआ था?
श्री गुसाई विट्ठलनाथजी का जन्म विक्रम संवत 1572 में पौष कृष्ण नवमी को चुनार के चरणादिगढ़ (चरणाट धाम) में हुआ था।
5. आश्चर्य कूप की किवदंती क्या है?
किवदंती के अनुसार, श्री बल्लभाचार्य को जगन्नाथपुरी यात्रा के दौरान यहां पुत्र (विट्ठलनाथ) प्राप्त हुआ। वापसी पर एक व्यक्ति बच्चे को कुएं पर सौंपकर अदृश्य हो गया, इसलिए इसे आश्चर्य कूप कहा जाता है।
6. चुनार में प्राकट्य महोत्सव कब आयोजित होता है?
प्रति वर्ष दिसंबर में अखिल भारतीय प्राकट्य महोत्सव आयोजित होता है, जिसमें देशभर से हजारों भक्त शामिल होते हैं।
7. श्री गुसाई विट्ठलनाथजी की जयंती कब मनाई जाती है?
श्री गुसाई विट्ठलनाथजी की जयंती 4 जनवरी को तीन दिवसीय जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है।
8. आश्चर्य कूप की देखरेख कौन करता है?
इसकी देखरेख श्री मुकुंद सेवा संस्थान, गोपाल मंदिर, वाराणसी द्वारा श्री श्याम मनोहरजी महाराज के निर्देशन में की जाती है।
9. चुनार का आश्चर्य कूप कैसे पहुंचें?
चुनार मिर्ज़ापुर से 40 किमी दूर है। आप ट्रेन से चुनार जंक्शन या बस/टैक्सी से पहुंच सकते हैं।
10. चुनार में घूमने का सबसे अच्छा समय क्या है?
दिसंबर-जनवरी का समय प्राकट्य महोत्सव के कारण आदर्श है, जब मौसम भी अनुकूल होता है।
11. आश्चर्य कूप के पास अन्य दर्शनीय स्थल कौन से हैं?
चुनार किला, गंगा घाट और अन्य वैष्णव मंदिर आसपास के प्रमुख आकर्षण हैं।
12. क्या आश्चर्य कूप में फोटोग्राफी की अनुमति है?
फोटोग्राफी के लिए स्थानीय अधिकारियों से अनुमति लेनी चाहिए। स्थानीय नियमों का पालन करें।
13. पंचशताब्दी वर्ष का आयोजन कब होगा?
श्री गुसाई विट्ठलनाथजी का पंचशताब्दी वर्ष आगामी वर्ष में मनाया जाएगा, जिसके लिए मंदिर का जीर्णोद्धार हो रहा है।
14. वल्लभ सम्प्रदाय का पुष्टिमार्ग क्या है?
पुष्टिमार्ग श्री बल्लभाचार्य द्वारा प्रतिपादित भक्ति मार्ग है, जो भगवान कृष्ण की कृपा और भक्ति पर केंद्रित है।
15. आश्चर्य कूप को गुप्त वृंदावन क्यों कहा जाता है?
इसकी आध्यात्मिक ऊर्जा और श्री विट्ठलनाथजी की जन्मस्थली होने के कारण वैष्णवजन इसे गुप्त वृंदावन मानते हैं।

Disclaimer:

इस लेख में दी गई जानकारी ऐतिहासिक और धार्मिक स्रोतों पर आधारित है। यात्रा से पहले स्थानीय नियमों और व्यवस्थाओं की पुष्टि करें।

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