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भंडारी देवी मंदिर अहरौरा, मिर्ज़ापुर: इतिहास, धार्मिक मान्यता और पर्यटन की एक अनोखी यात्रा

भंडारी देवी मंदिर अहरौरा: इतिहास, धार्मिक मान्यता और पर्यटन की एक अनोखी यात्रा

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नमस्कार दोस्तों! अगर आप मिर्जापुर की सैर पर हैं और आध्यात्मिकता के साथ प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेना चाहते हैं, तो भंडारी देवी मंदिर अहरौरा आपके लिए एक आदर्श गंतव्य है। 

मिर्जापुर यात्रा ब्लॉग पर आज हम इस प्राचीन मंदिर की विस्तृत जानकारी साझा करेंगे, जो न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि पर्यटकों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव भी प्रदान करता है। 

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में, अहरौरा से मात्र 4 किलोमीटर उत्तर में, विंध्य पर्वतमाला की एक ऊंची पहाड़ी पर बसा यह मंदिर अपनी चमत्कारी मान्यताओं और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।

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इस लेख में हम मंदिर के इतिहास, धार्मिक महत्व, किंवदंतियों, संरचना, त्योहारों, आसपास के पर्यटन स्थलों और पहुंचने के तरीकों को विस्तार से जानेंगे। तो, चलिए इस आध्यात्मिक और पर्यटकीय यात्रा पर निकलते हैं!

भंडारी देवी मंदिर का परिचय और पर्यटन महत्व

  • भंडारी देवी मंदिर मिर्जापुर शहर से लगभग 62 किलोमीटर और वाराणसी से 44 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

 यह मंदिर मां दुर्गा के एक रूप, मां भंडारी को समर्पित है, जिन्हें स्थानीय लोग अपनी कुलदेवी मानते हैं। पर्यटन की दृष्टि से यह स्थान धार्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक आकर्षणों का एक अनूठा संगम है। 

पहाड़ी पर चढ़ते समय हरे-भरे जंगल, पक्षियों की मधुर चहचहाहट और विंध्याचल की घाटियों का मनोरम दृश्य आपको मंत्रमुग्ध कर देगा।

Ahraura Bhandari Devi Temple

यह मंदिर खासकर नवरात्रि और सावन के महीने में जीवंत हो उठता है, जब देशभर से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक यहां आते हैं।

Ahraura Bhandari Devi Temple ashok stambh

मंदिर के आसपास प्रागैतिहासिक गुफा चित्रकारी और अशोक काल के शिलालेख इसे इतिहास प्रेमियों के लिए भी आकर्षक बनाते हैं।

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अगर आप मिर्जापुर की सैर की योजना बना रहे हैं, तो यह मंदिर आपके यात्रा सूची में अवश्य शामिल होना चाहिए। यह स्थान न केवल आध्यात्मिक शांति देता है, बल्कि ट्रेकिंग और प्रकृति प्रेमियों के लिए भी एक शानदार अनुभव प्रदान करता है।

भंडारी देवी मंदिर का इतिहास

भंडारी देवी मंदिर का इतिहास प्राचीन और रहस्यमयी है। इसे अशोक काल (तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व) से जोड़ा जाता है। 

मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में पाए गए शिलालेखों में पाली भाषा में सम्राट अशोक के विचार अंकित हैं, जिनमें पक्षियों और घोड़ों की आकृतियां भी उकेरी गई हैं।

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ऐसा माना जाता है कि राजा अशोक अपनी विजय यात्रा के दौरान यहां रुके थे और इस स्थान की शांति से प्रभावित होकर शिलालेख स्थापित करवाए। ये शिलालेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित हैं और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण हैं।

कुछ स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, मंदिर का निर्माण महाभारत काल में पांडवों द्वारा किया गया था। निर्वासन के दौरान पांडवों ने मां दुर्गा की पूजा के लिए इस मंदिर की नींव रखी।

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बाद में, गुप्त काल (5वीं शताब्दी) में इसका पुनर्निर्माण हुआ। हालांकि, निर्माण की सटीक तारीख अज्ञात है, लेकिन ऐतिहासिक अवशेषों से यह स्पष्ट है कि मंदिर कम से कम 2000 वर्ष पुराना है। 

पर्यटकों के लिए ये शिलालेख और प्राचीन संरचनाएं समय यात्रा का अनुभव देती हैं। पहाड़ी पर चढ़ते समय आप इन ऐतिहासिक अवशेषों को करीब से देख सकते हैं, जो फोटोग्राफी और इतिहास के अध्ययन के लिए आदर्श हैं।

भंडारी देवी मंदिर की किंवदंतियां और धार्मिक मान्यताएं

भंडारी देवी मंदिर अपनी चमत्कारी किंवदंतियों के लिए प्रसिद्ध है। सबसे प्रमुख कथा के अनुसार, मां भंडारी राजा कर्णपाल की बहन थीं। पहाड़ी पर भांडोदरी नामक एक राक्षस रहता था, जो स्थानीय लोगों को तंग करता था। 

मां भंडारी ने उसका वध किया और इसके बाद वह यहीं विराजमान हो गईं। 

Bhandari Devi Temple Ahraura Mirzapur

माना जाता है कि उनके पदचिह्न आज भी पहाड़ी पर मौजूद हैं। जिसे मंदिर के प्रागण में देखा जा सकता हैं जिसे आज संरक्षण हेतू चारो ओर से बैरिकेटिंग किया गया।

Bhandari Devi mandir gufa Ahraura

एक अन्य मान्यता के अनुसार, मां भंडारी अन्नपूर्णा देवी का रूप हैं। प्राचीन काल में मंदिर के नीचे एक गुफा थी, जहां अन्न और धन का भंडार रहता था।

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गरीब किसान यहां से अनाज ले जाते थे और फसल होने पर डेढ़ा या सवाया अन्न चढ़ाते थे। हालांकि, लालच बढ़ने के कारण यह प्रथा बंद हो गई। 

  • भक्तों का विश्वास है कि मां के दर्शन से उनके भंडार कभी खाली नहीं रहते।
Bhandari Devi kund  Mirzapur Ahraura
मंदिर के सामने एक कुंड है, जिसका पानी कभी नहीं सूखता, चाहे कितनी भी गर्मी हो। मान्यता है कि दर्शन से पहले इस कुंड में स्नान करने से हर मनोकामना पूरी होती है। 
Bhandari Devi palki yatra Ahraura Mirzapur

एक अनूठी परंपरा के तहत, हर तीसरे वर्ष सावन माह के दूसरे मंगलवार को मां डोली पर सवार होकर अपने मायके, राजा कर्णपाल के किले (सीयूर), जाती हैं।

Ahraura Bhandari Devi Temple palki

पुजारी मां को मान-मनौव्वल कर डोली में बैठाते हैं, और डोली का वजन अचानक बढ़ जाता है। जिस खेत से डोली गुजरती है, वहां सबसे अधिक पैदावार होती है।

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भक्त अपनी मनोकामना के लिए एक या पांच पत्थर मंदिर में चढ़ाते हैं, और मनोकामना पूरी होने पर इन्हें हटा देते हैं। ये मान्यताएं मंदिर को और भी खास बनाती हैं। पर्यटकों के लिए ये कथाएं और परंपराएं स्थानीय संस्कृति को समझने का एक शानदार अवसर प्रदान करती हैं।

मंदिर की संरचना और विशेषताएं

Bhandari Devi mandir Ahraura
मंदिर की संरचना उत्तर भारतीय नागर शैली में बनी है। मुख्य प्रवेश द्वार पर हाथी, शेर और अन्य जानवरों की नक्काशीदार मूर्तियां हैं।
mata Bhandari Devi mandir Ahraura

गर्भगृह में मां भंडारी की सोने के आभूषणों से सजी मूर्ति विराजमान है, जो वाराणसी की अन्नपूर्णा मूर्ति से मिलती-जुलती है। मंदिर पहाड़ी की चोटी पर है, जहां से विंध्याचल की घाटियों का मनोरम दृश्य दिखता है।

Bhandari Devi mandir hawan kund Ahraura Mirzapur

 मंदिर परिसर में एक यज्ञ शाला भी हैं जहा समय समय हवन अनुष्टान इत्यादि किया जाता हैं। 

mata Bhandari Devi bagicha  Ahraura Mirzapur

मंदिर परिसर में एक छोटा सुंदर बगीचा है, जहां घास से "मां भंडारी" और "राधे राधे" लिखा हुआ है। 

  • यह बगीचा पर्यटकों के लिए एक आकर्षक फोटो स्पॉट है। 

Bhandari Devi mandir Ahraura Mirzapur 1

मुख्य द्वार के सामने एक पेड़ के पास माता की सवारी शेर की मूर्ति स्थापित है। मंदिर के नीचे एक अंतहीन गुफा है, जहां पहले अनाज चढ़ाया जाता था।

Bhandari Devi Temple  Ahraura Mirzapur

मंदिर परिसर में ही दर्शनार्थियों के लिए  बैठने और आराम करने के लिए धर्मशाला भी उपलब्ध हैं।

Bhandari Devi Temple Ahraura 1

मंदिर परिसर में ही दर्शनार्थियों के लिए माला फुल और प्रसाद की दुकानें भी उपलब्ध हैं। जहाँ से आप माता को भोग चढाने के लिए माला फुल और प्रसाद खरीद सकते हैं।

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पर्यटकों के लिए मंदिर का शांत वातावरण, सुंदर बगीचा और पहाड़ी से दिखने वाला सूर्योदय का नजारा अविस्मरणीय है। सुबह की ठंडी हवा और प्रकृति की गोद में यह स्थान रिलैक्सेशन के लिए आदर्श है।

त्योहार और उत्सव: पर्यटन का मुख्य आकर्षण

भंडारी देवी मंदिर में त्योहार पर्यटन का एक बड़ा हिस्सा हैं। नवरात्रि के दौरान, खासकर अष्टमी और नवमी को, भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

मान्यता है कि इन दिनों पूजा करने से हर इच्छा पूरी होती है। मंदिर को फूलों और दीयों से सजाया जाता है, और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है।

Bhandari Devi Temple in Ahraura

सावन माह में एक महीने का विशाल मेला लगता है, जहां देशभर से श्रद्धालु आते हैं। रविवार और मंगलवार को विशेष पूजा होती है।

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डोली यात्रा एक अनोखा उत्सव है, जो हर तीसरे वर्ष सावन में आयोजित होता है। यह स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को करीब से देखने का शानदार मौका है।

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मेले में लोक नृत्य, स्थानीय व्यंजन और स्टॉल्स पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। अगर आप फेस्टिवल टूरिज्म के शौकीन हैं, तो सावन या नवरात्रि में इस मेले का हिस्सा जरूर बनें।

Bhandari Devi mandir Ahraura Mirzapur

पर्यटन दृष्टिकोण: आसपास के आकर्षण

भंडारी देवी मंदिर को केंद्र बनाकर आप मिर्जापुर के कई अन्य पर्यटन स्थलों का भ्रमण कर सकते हैं। मंदिर के पास लाखनिया दारी झरना, चुना दारी, और विंध्यवासिनी देवी मंदिर हैं। 

थोड़ी दूरी पर विंडम फॉल्स, सीता कुंड, सिद्धिनाथ की दारी, टांडा फॉल और चुनार किला हैं। चुनार किला मुगल काल की कहानियों से भरा है, जबकि विंध्यवासिनी मंदिर एक प्रमुख शक्ति पीठ है।

मिर्जापुर से वाराणसी की यात्रा आसान है, जहां आप गंगा घाट, काशी विश्वनाथ मंदिर और सारनाथ का भ्रमण कर सकते हैं।

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प्राकृतिक सौंदर्य, ट्रेकिंग और इतिहास का यह मिश्रण मिर्जापुर को एक परफेक्ट टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाता है।

कैसे पहुंचें: आसान और सुविधाजनक मार्ग

भंडारी देवी मंदिर पहुंचना काफी सुविधाजनक है: आप माता के मंदिर तक बड़ी ही आसानी के साथ पहुच सकते हैं। 

mirzapur railway station

रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन मिर्जापुर रेलवे स्टेशन (15-20 किमी) है। यहां से ऑटो या टैक्सी लेकर मंदिर पहुंचें।
Ahraura Road Station

  • वैकल्पिक रूप से अहरौरा रोड स्टेशन भी पास है।
सड़क मार्ग: मिर्जापुर से NH-19 (विजयपुर-मिर्जापुर हाईवे) पर बस, टैक्सी या निजी गाड़ी से 20 किमी की दूरी तय करें। रास्ते में ग्रामीण परिदृश्य का आनंद लें।
Lal Bahadur Shastri International Airport Varanasi

हवाई मार्ग: लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, वाराणसी (60 किमी) निकटतम हवाई अड्डा है। यहां से कैब लेकर मिर्जापुर होते हुए मंदिर पहुंचें।

  • पर्यटन सीजन में टैक्सी या होटल की बुकिंग पहले से करें।

पर्यटकों के लिए सुझाव

  • सर्वोत्तम समय: नवरात्रि (अक्टूबर-नवंबर) या सावन (जुलाई-अगस्त) में आएं। भीड़ से बचने के लिए सप्ताह के मध्य में यात्रा करें।
  • क्या पहनें: पहाड़ी चढ़ाई के लिए आरामदायक जूते और हल्के कपड़े। महिलाएं साड़ी या सलवार सूट में सहज रहेंगी।

टिप्स:

  • मंदिर के बाहर फोटोग्राफी की अनुमति है, लेकिन गर्भगृह में नहीं।
  • व्हीलचेयर यूजर्स के लिए पहाड़ी चढ़ाई चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
  • स्थानीय प्रसाद जैसे लड्डू और फल जरूर चखें।
  • आसपास के झरनों पर पिकनिक का मजा लें, लेकिन पर्यावरण का ध्यान रखें।
  • स्थानीय गाइड की मदद लें और भीड़ में सतर्क रहें।

ठहरने के लिए : मंदिर परिसर में ही धर्मशाला उपलब्ध हैं। मिर्जापुर में तो और भी बेहतर होटल ऑप्शंस मिलेंगे---।

सामान्य प्रश्न (FAQ)

1. भंडारी देवी मंदिर अहरौरा कहां स्थित है?
2. भंडारी देवी मंदिर का इतिहास क्या है?
3. भंडारी देवी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
4. मंदिर से जुड़ी प्रमुख किंवदंती क्या है?
5. मंदिर में कौन सी अनोखी परंपरा है?
6. मंदिर के पास का कुंड क्यों खास है?
7. भंडारी देवी मंदिर में कौन से त्योहार मनाए जाते हैं?
8. मंदिर तक कैसे पहुंचें?
9. मंदिर की संरचना कैसी है?
10. मंदिर के पास कौन से पर्यटन स्थल हैं?
11. मंदिर में दर्शन का सबसे अच्छा समय क्या है?
12. मंदिर में क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं?
13. मंदिर में फोटोग्राफी की अनुमति है?
14. क्या मंदिर व्हीलचेयर उपयोगकर्ताओं के लिए उपयुक्त है?
15. मंदिर के आसपास आवास के विकल्प क्या हैं?


निष्कर्ष

भंडारी देवी मंदिर अहरौरा मिर्जापुर यात्रा का एक अनमोल रत्न है। यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि ऐतिहासिक शिलालेख, प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक समृद्धि के साथ एक पूर्ण पर्यटन अनुभव देता है।

भक्तों का कहना है कि यहां दर्शन करने से हर मनोकामना पूरी होती है और मन को सुकून मिलता है। अगर आप मिर्जापुर की सैर पर हैं, तो इस मंदिर को अपनी सूची में जरूर शामिल करें। मिर्जापुर यात्रा ब्लॉग पर और ऐसे रोचक लेखों के लिए बने रहें। जय माता दी!

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